उच्चतम न्यायालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम प्रावधानों के तहत प्रवर्तन निदेशालय को जांच, गिरफ्तारी और संपत्ति जब्ती के अधिकार को सही ठहराया। धन शोधन निवारण अधिनियम के कई प्रावधानों की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शीर्ष न्यायालय ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों के लिए किसी आरोपी को हिरासत में लेते समय गिरफ्तारी की वजह बताना जरूरी नहीं है।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश महेश्वरी और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार ने फैसले की घोषणा करते हुए धन शोधन रोकथाम अधिनियम कानून के तहत जमानत की दो कड़ी शर्तों को भी बरकरार रखा है।
शीर्ष न्यायालय ने कहा है कि धन शोधन रोकथाम अधिनियम कानून के तहत गिरफ्तार करने, जमानत देने और सम्पत्ति जब्त करने का अधिकार अपराध प्रक्रिया संहिता के दायरे में नहीं आता है।
न्यायालय ने यह भी कहा कि प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट यानि-ईसीआईआर को प्राथमिकी के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। यह प्रवर्तन निदेशालय का एक आंतरिक दस्तावेज है।
शीर्ष न्यायालय ने केंद्र को पीएमएलए अपीलीय न्यायाधिकरण में रिक्त पदों को भरने का भी निर्देश दिया। (Aabhar Air News)