संसद के दोनों सदनों का कल, निर्धारित समय से चार दिन पहले, सत्रावसान कर दिया गया। संसद का मॉनसून सत्र 18 जुलाई से आरंभ हुआ था और आधिकारिक रूप से 12 अगस्‍त तक के लिये निर्धारित था।
 
राज्‍य सभा में सभापति एम. वेंकैया नायडु ने समापन संबोधन में कहा कि सदन में 38 घंटे का कामकाज हुआ जबकि व्‍यवधानों के कारण 47 घंटे का नुकसान हुआ। इसे सदन की कार्यवाही के लिए नकारात्‍मक बताते हुए सभापति ने कहा कि लगातार व्‍यवधान से जन महत्‍व के कई आवश्यक मुद्दों पर विचार-विमर्श नहीं हो सका और सात दिन प्रश्‍नकाल भी नहीं हुआ। केवल पांच विधेयकों पर विचार-विमर्श हुआ और उन्‍हें पारित किया गया। श्री नायडु ने बताया कि देश में आवश्‍यक वस्‍तुओं की मूल्‍य वृद्धि पर सदन में अल्पकालिक विचार-विमर्श हुआ।
 
लोकसभा अध्‍यक्ष ओम बिड़ला ने अपनी समापन टिप्‍पणी में कहा कि मॉनसून सत्र के दौरान छह विधेयक पेश किए गए और सात विधेयक पारित किए गए। सदन की 16 बैठकें हुई और 44 घंटे से अधिक समय का काम-काज हुआ। श्री बिडला ने बताया मूल्‍य वृद्धि और देश में खेल कूद को बढ़ावा देने के उपायों पर सदन में अल्पकालिक विचार-विमर्श हुआ।
प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा है कि उपराष्‍ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने संसदीय समितियों को और अधिक सक्षम, सक्रिय और सार्थक बनाया है। कल शाम संसद के पुस्‍तकालय भवन में श्री नायडु के विदाई समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी पदों पर पूरी निष्ठा और लगन से काम करना उनके विशेष गुणों में शामिल रहा है।
     
इस अवसर पर उपराष्‍ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने कहा कि केन्‍द्र और राज्‍यों को निर्धनता, निरक्षरता और स्‍त्री-पुरूष असमानता जैसी चुनौतियों के खिलाफ संघर्ष में मिलकर काम करना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि सरकार ने देश को विकास पथ पर आगे ले जाने के लिए आवश्‍यक बुनियादी ढांचा सृजित किया है। (Aabhar Air News)