प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन-एससीओ सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दो दिन की यात्रा पर आज शाम उज़्बेकिस्तान में समरकंद पहुंचेंगे। विदेश सचिव विनय मोहन क्‍वात्रा ने कहा है कि श्री मोदी कल सम्‍मेलन के प्रतिबंधित और विस्‍तारित सत्र में भाग लेंगे। श्री क्‍वात्रा ने कहा कि एससीओ सम्‍मेलन में स्‍थानीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्दों सहित संगठन में सुधार और इसके विस्‍तार तथा क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति को मजबूत बनाने पर विचार होने की संभावना है। क्षेत्र में सम्‍पर्क मजबूत करने, व्‍यापार और पर्यटन को बढाने में भारत का सहयोग रहा है। विदेश सचिव ने कहा कि प्रधानमंत्री का सम्‍मेलन में भाग लेना इसलिए भी महत्‍वपूर्ण है कि भारत इस संगठन से शुरू से ही जुडा रहा है। उन्‍होंने कहा कि सम्‍मेलन में समरकंद घोषणा और कई महत्‍वपूर्ण दस्‍तावेजों को अंतिम रूप दिये जाने की संभावना है, जो शंघाई सहयोग संगठन के सदस्‍य देशों के पास विचाराधीन है।
 
विदेश सचिव ने बताया कि प्रधानमंत्री सम्‍मेलन से इतर उज्‍बेकिस्‍तान के राष्‍ट्रपति और अन्‍य नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करेंगे। सम्‍मेलन के दो सत्र होंगे। पहला प्रतिबंधित सत्र होगा, जिसमें केवल संगठन के सदस्‍य ही भाग लेंगे और दूसरा विस्‍तारित सत्र होगा, जिसमें पर्यवेक्षक और विशेष आमंत्रित सदस्‍य भाग लेंगे। भारत, शंघाई सहयोग संगठन का पूर्ण सदस्‍य बनने के बाद से संगठन के सभी कार्यों, विचार-विमर्श और उनके परिणामों में अपना सार्थक सहयोग दे रहा है। क्षेत्रीय आतंकरोधी ढांचा संगठन का एक महत्‍वपूर्ण तंत्र है। भारत ने पिछले वर्ष अक्‍तूबर में क्षेत्रीय आतंकरोधी ढांचे की कार्यकारी परिषद की अध्‍यक्षता ग्रहण की थी।
 
आतंकवाद पर पूछे गये प्रश्‍नों का जवाब देते हुए विदेश सचिव श्री क्‍वात्रा ने कहा कि एससीओ देशों में आतंकवाद की चुनौतियों से निपटने के लिए गहरी समझ है। उन्‍होंने कहा कि आतंकवाद से निपटने के लिए सभी को मिलकर सहयोग करने की जरूरत है। जी-7 देशों पर रूस के तेल पर मूल्‍य की अधिकतम सीमा के बारे में पूछे गये सवाल के जवाब में श्री क्‍वात्रा ने कहा कि भारत जी-7 देशों के समूह का सदस्‍य नहीं है। (Aabhar Air News)