विदेश मंत्री डॉक्टर सुब्रहमण्यम जयशंकर ने आतंकवाद से निपटने के लिए सभी देशों से राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठने की अपील की है। मुम्बई में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद रोधी समिति की विशेष बैठक के उदघाटन अवसर पर अपने संबोधन में डॉ० जयशंकर ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि खेदजनक रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद राजनीतिक कारणों से कुछ मामलों में कार्रवाई करने में असमर्थ रही है। उन्होंने कहा कि यह हमारी सामूहिक विश्वसनीयता और सामूहिक हितों को कमजोर करता है। विदेश मंत्री ने इस बात पर नाखुशी व्यक्त की कि 26/11 के हमलों के प्रमुख साजिशकर्ताओं को अभी भी सजा नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि हमला केवल मुंबई पर नहीं हुआ बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर हुआ। उन्होंने कहा कि हत्याओं से पहले विशिष्ट देशों के नागरिकों की पहचान की गई थी। डॉ० जयशंकर ने कहा कि हमें एकजुटता के साथ यह संदेश देना चाहिए कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय आतंकवादियों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कठघरे में खडा करने से कभी नहीं चूकेगा। डॉक्टर जयशंकर ने कहा कि भले ही दुनिया के कई क्षेत्र आतंकवाद से त्रस्त हों, लेकिन भारत दूसरों के मुकाबले इसकी कीमत अधिक समझता है। डॉ. जयशंकर ने समिति के विचार के लिए 5 सूत्रीय एजेंडा भी पेश किया। पहले बिंदु का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में वित्तीय कार्रवाई कार्य बल यानी एफएटीएफ और एग्मोंट समूह जैसे अन्य मंचों के सहयोग से समन्वित करने की आवश्यकता है। दूसरे बिंदु के रूप में, डॉ. जयशंकर ने सुरक्षा परिषद प्रतिबंध व्यवस्था के प्रभावी और पारदर्शी कामकाज को सुनिश्चित करने पर जोर दिया और कहा कि राजनीतिक कारणों से इन पर प्रभाव न पड़े। उन्होंने कहा कि आतंकवादी समूहों को सूचीबद्ध करने के उद्देश्य और साक्ष्य आधारित प्रस्तावों, विशेष रूप से वित्तीय संसाधनों तक उनकी पहुंच रूकनी चाहिए। भारत के तीसरे प्रस्ताव में, विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवाद के अभिशाप को हराने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और आतंकवादियों तथा उनके प्रायोजकों के खिलाफ ठोस कार्रवाई हो। जिनमें उनके सुरक्षित पनाहगाहों, ठिकानों, प्रशिक्षण शिविरों और वित्तीय और वैचारिक के साथ-साथ राजनीतिक समर्थन संरचनाओं को नष्ट करना शामिल है। चौथे प्रस्ताव में डॉक्टर जयशंकर ने कहा कि सभी देशों को आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध, मादक पदार्थो और हथियारों की तस्करी के बीच संबंधों को पहचानना चाहिए और इसके लिए प्रयास तेज किये जाने चाहिए। अंतिम प्रस्ताव में डॉ जयशंकर ने सभी देशों से आतंकवादी समूहों द्वारा धन उगाहने और वित्त पोषण के लिए आभासी मुद्राओं जैसी नई और उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग को रोकने का हल निकालने का अनुरोध किया।
इस विशेष बैठक का विषय है-आतंकी कार्रवाइयों में नई तकनीकों के इस्तेमाल से निपटना। बैठक से पहले समिति के सदस्यों ने मुंबई में 26/11 आतंकी हमले में जान गंवाने वालों को श्रद्धाजंलि दी। श्रद्धाजंलि देने के बाद विदेश मंत्री डॉ. सुब्रहमण्यम जयशंकर ने कहा कि 14 वर्ष पहले मुंबई में दिल दहलाने वाला आतंकी हमला हुआ था और सीमापार से आये आतंकियों के हमले से यह पूरा शहर बंधक बन गया। उन्होंने कहा कि भारत ने हमले के साजिशकर्ताओं को न्याय के कटघरे में लाने का प्रयास किया है। डॉ. जयशंकर ने कहा कि अभी यह काम पूरा नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि 26/11 के हमले को कभी नहीं भुलाया जा सकता। विदेश मंत्री ने कहा कि समिति का ताजमहल पैलेस होटल में आना विशेष और महत्वपूर्ण घटना है।
बैठक के प्रारंभिक सत्र को सम्बोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष, माइकल मौसा ने कहा कि आतंकवादी अपनी गतिविधियों में क्रिप्टोकरेंसी और सोशल मीडिया का उपयोग बढ़ा रहे हैं, हमारी जवाबी कार्रवाई भी उनके द्वारा अपनायी जा रही तकनीक के उपयोग के अनुकूल होनी चाहिए। श्री मौसा ने कहा कि आतंकवाद विरोधी गतिविधियों से निपटने के लिए बड़ा संकल्प होना चाहिए और सभी स्तरों पर एकजुटता के साथ जवाबी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने राष्ट्रों का आह्वान किया कि वे आतंकवादियों को अपने संगठनों में अन्य लोगों के शामिल होने से रोकें।
बैठक में मौजूदा और उभरते आतंकी खतरों, इनसे निपटने के लिए नई और उन्नत प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल, जारी चुनौतियां, प्रभावी उपायों और मानवाधिकार से जुड़े कई विषयों पर चर्चा का अवसर मिलेगा। (Aabhar Air News)