प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि पंच प्रण को सुशासन का पथ प्रदर्शक होना चाहिए। हरियाणा के सूरजकुंड में राज्यों के गृह मंत्रियों के दो दिन के चिंतन शिविर को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अमृत काल में भारत के विकास की परिकल्पना को साकार करने में पंच प्रण की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। श्री मोदी ने कहा कि संविधान के अनुसार कानून और व्यवस्था हालांकि राज्यों की जिम्मेदारी है, लेकिन इनका संबंध देश की एकता और अखण्डता से भी है।
श्री मोदी ने कहा कि देश को मजबूत करने से देश का हर नागरिक सशक्त होगा, जिसे उन्होंने सुशासन करार दिया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक राज्य को इस लाभ को पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति तक ले जाना चाहिए और इसे सुनिश्चित करने के लिए गृह मंत्रियों की भूमिका अधिक महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अपराध अब स्थानीयकृत नहीं है और अंतरराज्यीय, अंतर्राष्ट्रीय अपराध की घटनाएं बढ़ रही हैं, इसलिए, राज्य एजेंसियों के बीच और केंद्र तथा राज्य एजेंसियों के बीच परस्पर सहयोग महत्वपूर्ण होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि चाहे साइबर अपराध हो या हथियारों या मादक पदार्थों की तस्करी के लिए ड्रोन तकनीकों का इस्तेमाल, सरकार को इनसे निपटने के लिए नई तकनीकों की दिशा में काम करते रहने की जरूरत है। श्री मोदी ने कहा कि स्मार्ट तकनीक की मदद से कानून व्यवस्था को और बेहतर बनाया जा सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्रियों और गृह मंत्रियों से, बजट की बाधाओं से परे जाकर प्रौद्योगिकी की आवश्यकता का गंभीरता से आकलन करने का अनुरोध किया क्योंकि यह तकनीक आम नागरिकों को सुरक्षा के प्रति आश्वस्त करेगी।
श्री मोदी ने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखना चौबिसों घंटे का काम है और किसी भी काम के लिए व्यवस्था में सुधार करते रहना जरूरी है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्षों में कानून व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए कई सुधार किए गए जिससे शांति का माहौल बना।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ने आतंकवाद, हवाला नेटवर्क और भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सख्त कार्रवाई की है और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, जैसे कानूनों ने आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई में व्यवस्था को ताकत दी है।
फर्जी समाचारों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इनके प्रमाणिकता की जांच करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इसमें प्रौद्योगिकी की बडी भूमिका होगी। श्री मोदी ने कहा कि लोगों को संदेशों को आगे भेजने से पहले उनकी पुष्टि के लिए इस तंत्र के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने सभी राज्यों की पुलिस के लिए एक ही वर्दी पर विचार करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि इससे कानून प्रवर्तन एजेंसियों को एकसमान पहचान मिलेगी।
आतंकवाद के जमीनी नेटवर्क को खत्म करने की आवश्यकता को दोहराते हुए, प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि हर सरकार अपनी क्षमता और समझ से अपना काम करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि सब एक साथ आएं और स्थिति को संभालें। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद का हर रूप, चाहे वह बंदूक वाला हो या कलम वाला, देश के युवाओं को गुमराह करने से रोकने के लिए उन्हें जड़ से उखाड़ना होगा। प्रधानमंत्री ने चेतावनी दी कि ऐसी ताकतें आने वाली पीढ़ियों की मानसिकता को विकृत करने के लिए अपने बौद्धिक क्षेत्र को बढ़ा रही हैं।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले आठ वर्षों में देश में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या में काफी कमी आई है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर हो या पूर्वोत्तर आज वे स्थायी शांति की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं।
यह चिंतन शिविर, प्रधानमंत्री द्वारा अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में घोषित पंच प्रण के अनुरूप, आंतरिक सुरक्षा से संबंधित मामलों पर नीति निर्माण के लिए एक राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य प्रदान करने का एक प्रयास है। (Aabhar Air News)