प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज सुबह साढ़े दस बजे वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से राज्यों के गृहमंत्रियों के चिंतन शिविर को संबोधित करेंगे। दो दिन का यह चिंतन शिविर कल हरियाणा के सूरजकुंड में शुरू हुआ था। राज्यों के गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक तथा केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल और केन्द्रीय पुलिस संगठनों के महानिदेशक भी इसमें भाग ले रहे हैं।
 
गृहमंत्रियों का चिंतन शिविर प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस संबोधन में घोषित पांच प्रण के अनुरूप आंतरिक सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर नीति निर्माण के लिए राष्ट्रीय दृष्टिकोण उपलब्ध कराने का प्रयास है।
 
गृहमंत्री अमित शाह ने कल पहले दिन आयोजन को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्यों को अपराधों से निपटने के लिए मिलकर काम करना होगा। उन्होंने साइबर अपराध, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी की रोकथाम के लिए केन्द्र और राज्यों के बीच सहयोग और समन्वय की अपील की। गृहमंत्री ने सभी राज्यों से इन चुनौतियों से निपटने की साझा रणनीति अपनाकर सहकारी संघवाद के केन्द्र के प्रयासों में साथ देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आज अपराध का तौर तरीका बदल रहा है और यह व्यापक होता जा रहा है, इसलिए सभी राज्यों को इस पर अंकुश के लिए साझा रणनीति अपनानी होगी।
 
श्री शाह ने कहा कि वाम उग्रवाद से ग्रस्त क्षेत्र, जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर जो कभी हिंसा और अस्थिरता के शिकार थे, अब विकास का केन्द्र बनते जा रहे हैं। पिछले आठ वर्ष में पूर्वोत्तर में सुरक्षा स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है और 2014 के बाद उग्रवादी घटनाओं में 74 प्रतिशत, सुरक्षाबलों के हताहत होने में 60 प्रतिशत और हिंसक घटनाओं में नागरिकों के मारे जाने में 90 प्रतिशत की कमी आई है। विभिन्न समझौतों के माध्यम से क्षेत्र में स्थाई शांति स्थापित करने के प्रयास किए गए हैं।
 
श्री शाह ने कहा कि पूर्वोत्तर में शांति बहाल होने से सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम 60 प्रतिशत से अधिक क्षेत्रों से हटा लिया गया है। वाम उग्रवाद से त्रस्त क्षेत्रों में स्थिति में सुधार का उल्लेख करते हुए श्री शाह ने कहा कि इन क्षेत्रों में हिंसा में 77 प्रतिशत और हिंसा के कारण होने वाली मौतों में 85 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है। उन्होंने कहा कि पांच अगस्त, 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद शांति और प्रगति की नई शुरुआत हुई है। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार ने आतंकवाद को कतई बरदाश्त नहीं करने की नीति अपनाई है। अन्य एजेंसियों को भी आतंकवाद पर पूरी तरह नियंत्रण के लिए मजबूत किया जा रहा है।
उन्‍होंने बताया कि वर्ष 2024 से पहले सभी राज्‍यों में एन.आई.ए. की शाखा खोलकर आतंकरोधी नेटवर्क स्‍थापित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि एन.आई.ए. को अतिरिक्‍त क्षेत्राधिकार दिया गया है और इसके साथ ही एजेंसी को आतंकवाद से जुड़ी या हासिल हुई सम्‍पत्ति को जब्‍त करने का अधिकार भी दिया गया है। श्री शाह ने कहा कि आज केन्‍द्र और राज्‍य के बीच आपसी सहयोग और तालमेल के कारण देश में सुरक्षा के खतरे के स्‍थान राष्‍ट्रविरोधी गतिविधियों से लगभग मुक्‍त हो गए हैं।
 
गृह मंत्री ने कहा कि साइबर अपराध देश और विश्‍व के लिए एक बड़ा खतरा है और गृह मंत्रालय इसका मुकाबला करने के लिए तैयार है। उन्‍होंने कहा कि गृह मंत्रालय सी.आर.पी.सी., आई.पी.सी. और एफ.सी.आर.ए. में सुधार करने पर लगातार काम कर रही है और जल्‍द ही इसका संशोधित खाका संसद में पेश किया जाएगा। श्री शाह ने कहा कि राज्‍यों को दोषसिद्धि दर बढ़ाने लिए फोरेंसिक विज्ञान का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए और केन्‍द्र सरकार ने एन.एफ.एस.यू. गठन करके हर सम्‍भव मदद उपलब्‍ध कराई है। उन्‍होंने इस बात पर जोर दिया कि सीमा सुरक्षा और तटीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सीमावर्ती राज्‍यों को केन्‍द्रीय एजेंसियों और सुरक्षा बलों के साथ अधिक समन्वित प्रयास करने होंगे।
 
गृह मंत्री ने कहा कि राष्‍ट्र के समक्ष चुनौतियों से निपटने के लिए आंतरिक सुरक्षा के सभी संसाधनों का समुचित उपयोग करने की आवश्‍यकता है।  (Aabhar Air News)