केन्द्रीय वाणिज्य और खाद्यमंत्री पीयूष गोयल ने व्यापारिक समुदाय से अपील की है कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पंच प्रण के हिस्से के रूप में वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में योगदान करें। इस लक्ष्य के लिए सामूहिक दायित्व पर बल देते हुए मंत्री ने व्यापारियों से कहा कि वे उत्पादों के विपणन को प्रोत्साहित करें और मेक इन इंडिया कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित करने के लिए एक-दूसरे की सहायता करें। कल शाम हैदराबाद में तेलंगाना वाणिज्य और उद्योग मंडलों के परिसंघ - एफटीसीसीआई के सदस्यों के साथ बातचीत करते हुए मंत्री ने उनसे कहा कि वे अपने बजट का कम से कम पांच प्रतिशत एक जिला-एक उत्पाद कार्यक्रम के लिए आवंटित करें। इससे आत्मनिर्भर भारत में दूर-दराज के क्षेत्रों के लोगों की मदद की जा सकेगी।
उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप देश के दो सौ पचास से अधिक जिलों में हॉलमार्क केन्द्र स्थापित किए गए हैं और अब नब्बे प्रतिशत आभूषण हॉलमार्क युक्त हैं। निर्यात के बारे में मंत्री ने कहा कि इस वर्ष यह बढकर साढ़े सात खरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान है। यह पिछले वर्ष छह खरब 75 अरब डॉलर का था।
श्री गोयल ने कपास उद्योग के हितधारकों से कहा कि वे एक कार्यनीति पर विचार करें ताकि कपास उत्पादों के अच्छे दाम मिल सकें और भारतीय कपास का ब्रॉंड विकसित हो सके।
श्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया कि चावल के निर्यात के बारे में फिलहाल नीति में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अस्सी करोड गरीबों की मदद के लिए हर वर्ष दस करोड टन अनाज की आवश्यकता को देखते हुए सरकार को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर ध्यान देना होगा। मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अन्तर्गत प्रत्येक लाभार्थी को हर महीने दस किलोग्राम चावल दिया जा रहा है।(Aabhar ASir News)