झारखंड विधानसभा के एक दिन के विशेष सत्र के दौरान आरक्षण नीति और राज्‍य अधिवास नीति 1932 से संबंधित दो महत्‍वपूर्ण विधेयक ध्‍वनि मत से पारित कर दिये गए। मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने दोनों विधेयक आज सदन के पटल पर रखे।


झारखंड में पदों और सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण संशोधन विधेयक 2022 प्रस्‍तुत करते हुए मुख्‍यमंत्री ने कहा कि सीधी भर्ती के माध्‍यम से राज्‍य में सरकारी नियुक्तियों में सरकारी प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है जबकि 23 प्रतिशत पद मेरिट के आधार पर भरे जायेंगे।


नये आरक्षण विधेयक के अनुसार 12 प्रतिशत सीट अनुसूचित जातियों, 26 प्रतिशत जनजातियों, 12 प्रतिशत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और 27 प्रतिशत अन्‍य पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित होंगी। अन्‍य पिछड़े वर्ग में आरक्षण का प्रतिशत अनुसूची एक में शामिल अत्‍यधिक पिछड़े वर्ग के लिए 15 और अनुसूची-दो में शामिल पिछड़े वर्गों के लिए 12 प्रतिशत होगा।


राज्‍य अधिवास नीति में संशोधन के अनुसार वर्ष 1932 के भूमि रिकार्ड के खतियान रजिस्‍टर-।। को झारखंड के नागरिकों को स्‍थानीय निवासी का दर्जा देने के दावे के लिए आधार माना जायेगा। विधेयक प्रस्‍तुत करते हुए मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि इस अधिनियम के तहत परिभाषित स्‍थानीय  व्‍यक्ति सामाजिक सुरक्षा, सामाजिक बीमा और रोजगार-बेरोजगार के संबंध में राज्‍य की सभी योजनाओं और नीतियों के लाभ के हकदार होंगे। स्‍थानीय नागरिकों को अपनी भूमि, रोजगार, कृषि ऋण और अन्‍य ऋण के बारे में विशेषाधिकार और संरक्षण होगा।


विधेयक पारित कराने के बाद सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्‍थगित कर दिया गया (Aabhar Air News)