प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारत ने कोविड महामारी के दौरान अपने एक अरब तीस करोड़ नागरिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की और कई जरूरतमंद देशों को अनाज की आपूर्ति भी की। आज इंडोनेशिया के बाली में खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दे पर जी-20 के पहले कार्यकारी सत्र को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि खाद्य सुरक्षा के संदर्भ में उर्वरकों की मौजूदा कमी एक बड़ा संकट है। उन्होंने कहा कि उर्वरक की आज की कमी कल के लिए खाद्य संकट है और विश्व के पास इसका कोई समाधान नहीं है। उन्होंने विश्व के नेताओं से आग्रह किया कि वे विश्व में खाद्य और अनाज की आपूर्ति श्रृंखला स्थिर बनाने के लिए आपसी समझौता करें। खाद्य सुरक्षा से संबंधित भारत के प्रयासों के बारे में श्री मोदी ने कहा कि भारत सतत ऊर्जा सुरक्षा के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहा है और मोटे अनाज जैसे पोषक और पारंपरिक खाद्यानों को फिर लोकप्रिय बना रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि मोटे अनाज वैश्विक कुपोषण और भुखमरी के समाधान हो सकते हैं। उन्होंने विश्व के नेताओं से अगला वर्ष अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष मनाने का आग्रह किया। श्री मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, कोविड महामारी और यूक्रेन की घटना के कारण विश्व में तबाही आ गई है। उन्होंने कहा कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला ध्वस्त हो गई है और समूचे विश्व में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति का संकट बना हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें यह स्वीकार करने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र जैसी बहुपक्षीय संस्थाए इन सब मुद्दों के समाधान में असफल रही हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी इन मुद्दों में सुधार करने के लिए नाकाम रहे हैं और इसीलिए विश्व को जी-20 से काफी उम्मीदें हैं। यूक्रेन संकट के मुद्दे पर श्री मोदी ने कहा कि विश्व को लोकतंत्र के रास्ते पर लौटने के लिए और यूक्रेन में युद्ध विराम के लिए मार्ग ढूंढ़ने चाहिए। उन्होंने कहा कि कोविड युग के बाद नई विश्व व्यवस्था तैयार करने की जिम्मेदारी हमारे कंधों पर है। श्री मोदी ने कहा कि विश्व में शांति, सदभाव और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एकीकृत और सामूहिक संकल्प लेना आज के समय के जरूरत है। जी-20 की भारत की अध्यक्षता के बारे में बोलते हुए उन्होंने विश्व के नेताओं को भरोसा दिलाया कि जब जी-20 की बैठक अगले वर्ष बुद्ध और गांधी की भूमि पर होगी तो भारत विश्व को शांति का महत्वपूर्ण संदेश देगा। श्री मोदी ने कहा कि भारत की ऊर्जा सुरक्षा वैश्विक वृद्धि के लिए आवश्यक है और विश्व को ऊर्जा आपूर्ति पर किसी प्रकार के प्रतिबंध को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण के लिए प्रतिबद्ध है और वर्ष 2030 तक भारत का आधा विद्युत उत्पादन नवीकरणीय स्रोतों से होगा। अंत में श्री मोदी ने कहा कि जी-20 अध्यक्षता के दौरान भारत इन सभी मुद्दों पर वैश्विक सहमति के आधार पर काम करेगा। (Aabhar Air News)