प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भगवान बिरसा मुंडा और करोड़ों आदिवासी शूरवीरों के सपनों को साकार करने के लिए देश अमृतकाल के पांच प्रण की ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है। इन पांच प्रणों में विकसित भारत का लक्ष्य, औपनिवेशिक मानसिकता को खत्म करना, अपनी विरासत पर गर्व करना, नागरिकों में एकता और कर्तव्यपराणता की भावना शामिल हैं। जनजातीय गौरव दिवस पर श्री मोदी ने वीडियो संदेश के माध्यम से देशवासियों को बधाई दी। भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि 15 नवंबर आदिवासी परंपरा को मनाने का दिन है क्योंकि भगवान बिरसा मुंडा स्वतंत्रता संग्राम के नायक होने के साथ-साथ आध्यात्मिक और सांस्कृतिक ऊर्जा के वाहक थे।
प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समुदाय के योगदान और प्रमुख जनजातीय आंदोलनों में उनकी भूमिका को स्मरण किया। उन्होंने तिलक मांझी के नेतृत्व में दामिन संग्राम, बुधु भगत के लरका आंदोलन, सिद्धू-कान्हू क्रांति, टाना भगत आंदोलन, वेगड़ा भील आंदोलन, नायकड़ा आंदोलन, मनगढ़ के गोविंद गुरु जी और अल्लूरी सीताराम राजू के नेतृत्व में रम्पा आंदोलन को याद किया।
प्रधानमंत्री ने देश के विभिन्न हिस्सों में जनजातीय संग्रहालयों और जन धन, गोवर्धन, वन धन, स्व-सहायता समूह, मातृत्व वंदना योजना, ग्रामीण सड़क योजना, एकलव्य विद्यालय, 90 प्रतिशत तक वन उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और मिशन इन्द्रप्रस्थ जैसी योजनाओं का उल्लेख किया, जिनसे जनजातिय समुदाय को लाभ मिला। उन्होंने कहा कि भारत को इस भव्य विरासत से सीख लेकर अपने भविष्य को आकार देना है। (Aabhar Air News)