प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूक्रेन संकट के समाधान के लिए संघर्ष विराम और कूटनीतिक रास्ता अपनाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि विश्व में शांति, सौहार्द्र और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस और सामूहिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता है। श्री मोदी ने इंडोनेशिया के बाली में खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दे पर जी-20 के प्रथम कामकाजी सत्र में यह बात कही।
दूसरे विश्व युद्ध की भयावहता को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि शांति के मार्ग पर चलने के लिए उस समय नेताओं ने गंभीर प्रयास किए थे और अब हमारी बारी है। श्री मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 महामारी, यूक्रेन के घटनाक्रम और उससे संबंधित वैश्विक समस्याएं विश्व में तबाही का कारण बनी हैं। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के बाद की अवधि के लिए नई विश्व व्यवस्था बनाना हम सबकी जिम्मेदारी है।
(Aabhar Air News)अगले वर्ष भारत की जी-20 अध्यक्षता के बारे में प्रधानमंत्री ने विश्वास प्रकट किया कि जब महात्मा बुद्ध और गांधी की भूमि पर जी-20 की बैठक होगी तो यह सभी के लिए विश्व को शांति का स्पष्ट संदेश देने का अवसर होगा। कोविड-19 के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने कोविड महामारी के दौरान अपने एक अरब तीस करोड़ नागरिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की और कई जरूरतमंद देशों को अनाज की आपूर्ति भी की। श्री मोदी ने कहा कि खाद्य सुरक्षा के संदर्भ में उर्वरकों की मौजूदा कमी बड़ा संकट है। उन्होंने कहा कि उर्वरक की आज की कमी कल के लिए खाद्य संकट है और विश्व के पास इसका कोई समाधान नहीं है। उन्होंने खाद और अनाज की आपूर्ति श्रृंखला स्थिर बनाने के लिए आपसी समझौता करने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत सतत खाद्य सुरक्षा के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहा है और मोटे अनाज जैसे पोषक और पारंपरिक अनाज को फिर लोकप्रिय बना रहा है।