इण्डोनेशिया के बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन के समापन सत्र में आज भारत को जी-20 की अध्यक्षता सौंपी गई। इस अवसर पर इण्डोनेशिया के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रतीकात्मक रूप से जी-20 की अध्यक्षता सौंपी। श्री मोदी ने कहा कि यह प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का पल है, क्योंकि भारत जी-20 की अध्यक्षता संभाल रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ऐसे समय जी-20 का प्रभार ग्रहण कर रहा है, जब विश्व भौगोलिक-राजनीतिक तनाव, आर्थिक मंदी, खाद्य पदार्थों और ऊर्जा के बढते मूल्य तथा महामारी के दीर्घकालिक दुष्प्रभावों से संघर्ष कर रहा है। उन्होंने विश्व नेताओं को आश्वासन दिया कि भारत की जी-20 की अध्यक्षता समावेशी, महत्वाकांक्षी, निर्णायक और कार्योन्मुखी होगी। श्री मोदी ने कहा कि अगले एक वर्ष में भारत का प्रयास होगा कि जी-20 सामूहिक कार्य को बढावा देने के लिए वैश्विक स्तर पर कार्य करे। पर्यावरण से उत्पन्न चुनौतियों पर बढती चिन्ता को देखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों पर स्वामित्व की भावना के कारण संघर्ष बढ रहे हैं और यह पर्यावरण की दुर्दशा का मुख्य कारण बन गई है। उन्होंने कहा कि न्यासी की भावना ही धरती के सुरक्षित भविष्य का समाधान है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पर्यावरण के लिए जीवन शैली अभियान इस समस्या के समाधान में बडा योगदान दे सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी मनुष्यों को विकास के लाभ उपलब्ध कराना समय की आवश्यकता है। श्री मोदी ने कहा कि वैश्विक विकास महिलाओं की भागीदारी के बिना असंभव है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि महिलाओं के नेतृत्व में विकास जी-20 की प्राथमिकता होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि शांति और सुरक्षा के बिना भविष्य की पीढियां आर्थिक वृद्धि या प्रौद्योगिकी नवाचार का लाभ नहीं उठा सकेंगी। उन्होंने कहा कि जी-20 को शांति और सौहार्द के पक्ष में कडा संदेश देना चाहिए। ये सभी प्राथमिकताएं भारत की जी-20 अध्यक्षता के विषय- एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य में पूरी तरह समाहित है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जी-20 वैश्विक परिवर्तन के लिए प्रेरक की भूमिका निभाएगा। भारत विभिन्न राज्यों और शहरों में समूह की बैठकें आयोजित करेगा और अतिथियों को भारत की अद्भुत विविधता, समावेशी परम्परा और सांस्कृतिक समृद्धि का पूर्ण अनुभव होगा। अगला जी-20 शिखर सम्मेलन 9 और 10 सितम्बर को नई दिल्ली में होगा। (Aabhar Air News)