राष्‍ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा है कि डॉ. बी.आर. आम्‍बेडकर, समाज में नैतिक चेतना को जगाने के पक्षधर  थे और उनका कहना था कि केवल कानून से ही अधिकार सुरक्षित नहीं रह सकते, बल्कि इसके लिए नैतिक और सामाजिक चेतना बहुत जरूरी है। आज नई दिल्‍ली में अंतर्राष्‍ट्रीय आम्‍बेडकर सम्‍मेलन के उदघाटन समारोह को संबोधित करते हुए श्री कोविंद ने कहा कि डॉक्‍टर आम्‍बेडकर ने हमेशा अहिंसा और संवैधानिक माध्‍यमों की वकालत की। श्री कोविंद ने कहा कि संविधान में ऐसे बहुत से प्रावधान हैं, जिनमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के हितों की रक्षा की बात कही गई है। संविधान के अनुच्‍छेद 46 में कहा गया है कि सरकार, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के शैक्षिक और आर्थिक विकास पर विशेष रूप से ध्‍यान दे। राष्‍ट्रपति ने यह भी कहा कि इस अनुच्‍छेद में सरकार को निर्देश दिया गया है कि वह इन जातियों को सामाजिक अन्‍याय और सभी प्रकार के शोषण से रक्षा प्रदान करे। उन्‍होंने कहा कि संविधान के निर्देशानुसार इन प्रवृत्तियों की रोकथाम के लिए अनेक संस्‍थाएं कार्यरत हैं। श्री कोविंद ने कहा कि इस दिशा में बहुत कुछ किया जा चुका है और बहुत कुछ करना अभी बाकी है।
राष्‍ट्रपति ने कहा कि पिछड़े वर्गों के अधिकतर लोग को अपने अधिकारों और कल्‍याण कार्यक्रमों की जानकारी नहीं है। ऐसी स्थिति में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से संबधित विधायकों तथा सांसदों के मंचों के सदस्‍यों की जिम्‍मेदारी है कि वह इनके बारे में उन्‍हें जागरूक करें। इन कार्यों से वे डॉ. आम्‍बेडकर को सच्‍ची श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं।   (Aabhar Air News)