प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि सदी में एक बार आने वाली महामारी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था एक बार फिर गति पकड़ रही है। उन्होंने कहा कि यह सरकार के आर्थिक फैसलों और अर्थव्यवस्था की मजबूत नींव का प्रतिबिंब है। श्री मोदी ने इस बात का उल्‍लेख किया कि सरकार ने इस बजट में उच्च विकास की गति को बनाए रखने के लिए कई कदम उठाए हैं। विकास और महत्वाकांक्षी अर्थव्यवस्था के लिए वित्त पोषण पर बजट के बाद वेबिनार को संबोधित करते हुए प्रधान मंत्री ने कहा कि केंद्र ने विदेशी पूंजी प्रवाह को प्रोत्साहित करके और बुनियादी निवेश पर कर को कम करके, एनआईआईएफ, गिफ्ट सिटी और नए डीएफआई जैसे संस्थानों का निर्माण कर वित्तीय और आर्थिक विकास में तेजी लाने की कोशिश की है।

उन्होंने कहा कि वित्त में डिजिटल प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग के लिए देश की प्रतिबद्धता अब अगले स्तर पर पहुंच रही है। उन्होंने कहा कि 75 जिलों में 75 डिजिटल बैंकिंग इकाइयां हों या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी, वे सरकार के दृष्टिकोण को दर्शाते हैं। आत्मनिर्भर भारत अभियान के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने संबंधित परियोजनाओं के वित्तपोषण के विभिन्न मॉडलों की खोज करके अन्य देशों पर निर्भरता कम करने के तरीकों पर विचार करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि देश के स्टार्टअप तभी आगे बढ़ सकते हैं जब उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाए और नवाचार पर जोर दिया जाए और नए व्यावसायिक क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाए।

श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि वित्तपोषण क्षेत्र को नए भविष्य के विचारों, पहलों के अभिनव वित्तपोषण और स्थायी जोखिम प्रबंधन पर ध्यान देने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब तक देश फिनटेक, एग्रीटेक, मेडिटेक और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में आगे नहीं बढ़ता, तब तक उद्योग 4.0 संभव नहीं है।

प्रधानमंत्री ने उन क्षेत्रों को खोजने के दृष्टिकोण के बारे में विस्तार से बात की जहां भारत शीर्ष तीन देशों में शामिल हो सकता है। उन्होंने कहा कि क्या भारत निर्माण, स्टार्टअप, हाल ही में खोले गए क्षेत्रों जैसे ड्रोन, अंतरिक्ष और भू-स्थानिक डेटा जैसे क्षेत्रों में शीर्ष तीन देशों में उभर सकता है। श्री मोदी ने कहा, स्टार्टअप्स के बीच उद्यमिता, नवाचार और नए बाजारों की खोज का विस्तार तभी होगा जब उन्हें वित्तपोषित करने वालों के बीच भविष्य के इन विचारों की गहरी समझ होगी।

इस बात पर जोर देते हुए कि भारतीय अर्थव्यवस्था का एक बड़ा आधार ग्रामीण अर्थव्यवस्था है, श्री मोदी ने कहा कि सरकार एसएचजी, किसान क्रेडिट कार्ड, किसान उत्पादक संगठन और सामान्य सेवा केंद्रों को मजबूत करने जैसे कदम उठा रही है।

स्वास्थ्य क्षेत्र में काम और निवेश का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि चिकित्सा शिक्षा से संबंधित चुनौतियों से निपटने के लिए अधिक से अधिक चिकित्सा संस्थानों का होना जरूरी है। श्री मोदी ने यह भी कहा कि भारत ने वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य रखा है और इस पर काम तेज करने के लिए पर्यावरण के अनुकूल परियोजनाओं में तेजी लाना आवश्यक है।

उन्‍होंने ग्रामीण भारत के लिए डिजिटल राजमार्ग बनाने, ग्रामीण जरूरतों के अनुरूप वित्तीय समावेशन उत्पादों को तैयार करने के महत्व को रेखांकित किया। (Aabhar Air News)