संयुक्त राष्ट्र की खाद्य और कृषि संगठन-एफएओ ने कहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध से गरीब देशों में खाद्यान्न का आयात प्रभावित होगा। एफएओ के महानिदेशक क्यू डोंगयू ने एफएओ मुख्यालय रोम में कहा कि यूक्रेन और रूस में कृषि गतिविधियों में संभावित बाधा आने से वैश्विक स्तर पर खाद्य असुरक्षा गंभीर रूप से बढ़ेगी।
यूक्रेन और रूस आवश्यक खाद्यान्नों के दो बड़े निर्यातक माने जााते हैं। खाद्य एजेंसी ने आगाह किया है कि गेहूं के आयात पर बहुत अधिक निर्भर रहने वाले उत्तरी अफ्रीका, एशिया और मध्य पूर्व के गरीब देशों पर युद्ध के कारण खाद्य असुरक्षा का खतरा मंडरा रहा है। इस बात को लेकर भी अनिश्चितता है कि जून में तैयार यूक्रेन के गेहूं की कटाई हो पाएगी या नहीं, क्योंकि बड़े पैमाने पर आबादी के विस्थापन से खेतिहर मजदूरों और श्रमिकों की संख्या कम हो गई है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एजेंसी ने यह भी कहा कि काला सागर पर यूक्रेन के बंदरगाहों को बंद कर दिया गया है, और उसकी सरकार ने अपने ही देश में खाद्य पदार्थों की संभावित कमी की आशंका में गेहूं, जई बाजरा, कुट्टु और कुछ अन्य खाद्य उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
अमरीका, अर्जेंटीना और अन्य गेहूं उत्पादक देश अपने खाद्यान्न भंडार को सुरक्षित रखने के लिए अन्य देशों को निर्यात सीमित कर सकते है। रूस इस समय युद्ध के कारण भारी आर्थिक प्रतिबंधों का सामना कर रहा है। वैश्विक स्तर पर खाद्य पदार्थों के निर्यात का एक तिहाई हिस्सा यूक्रेन के रास्ते जाता है। (Aabhar Air News)