दूसरी भारत-ऑस्ट्रेलिया वर्चुअल शिखर बैठक चल रही है। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन व्यापक रणनीतिक साझेदारी के अंतर्गत विभिन्न पहलों पर हुई प्रगति की समीक्षा करेंगे। शिखर सम्मेलन, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच विभिन्न क्षेत्रों में नई पहल और संवर्धित सहयोग का मार्ग प्रशस्त करेगा। बैठक में क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार विमर्श किए जाने की संभावना है। इस शिखर सम्मेलन से ये बात सिद्ध होती है कि दोनों देश अपने द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर अपने घनिष्ठ सहयोग को कितना महत्व देते हैं।
इस अवसर पर उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश, रक्षा और सुरक्षा, शिक्षा और नवाचार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहित कई क्षेत्रों में घनिष्ठ सहयोग हो रहा है। श्री मोदी ने कहा कि अति आवश्यक खनिज, जल प्रबंधन, नवीकरणीय ऊर्जा और कोविड-19 के क्षेत्र में अनुसंधान जैसे कई अन्य क्षेत्रों में भी द्विपक्षीय सहयोग तेजी से बढ़ा है। उन्होंने बेंगलुरू में महत्वपूर्ण और आधुनिक प्रौद्योगिकी नीति के लिए उच्च स्तरीय केंद्र की स्थापना की घोषणा का स्वागत किया।
श्री मोदी ने कहा कि व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता-सी.ई.सी.ए. के बारे में सहमति हमारे आर्थिक संबंधों, आर्थिक उदय और आर्थिक सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा। उनका कहना था कि इस समझौते में बहुत कम समय में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। श्री मोदी ने कहा कि दोनों ही देश क्वाड के सिलसिले में एक-दूसरे के साथ सहयोग कर रहे हैं जो सराहनीय है। श्री मोदी ने कहा कि हमारे इस आपसी सहयोग से एक स्वतंत्र, पारदर्शी और समग्र हिंद-प्रशांत सागर क्षेत्र का उदय होता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय प्राचीन कालीन वस्तुएं वापस करने की पहल के लिए ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन को भी धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि कई कलाकृतियां सैकड़ों वर्ष पुरानी हैं जिन्हें राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गुजरात, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों से अवैध रूप से देश से बाहर ले जाया गया था। (Aabhar Air News)