प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के निमंत्रण पर प्रथम लोकतंत्र सम्मेलन में हिस्सा लिया। वर्चुअल रूप से आयोजित इस सम्मेलन में शासनाध्यक्षों, सिविल सोसाइटी और निजी क्षेत्र से संबंधित हस्तियों ने हिस्सा लिया। सूत्रों के अनुसार, भारत सहित 12 चुने हुए देशों के प्रतिनिधियों ने सम्मेलन में भाग लिया।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने याद दिलाया कि ठीक 75 वर्ष पूर्व इसी तारीख को भारत की संविधान सभा का पहला सत्र आयोजित किया गया था। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के मूल स्रोतों में भारतीय सभ्यता और लोकाचार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। श्री मोदी ने कहा कि कानून के शासन का सम्मान और बहु-समुदायवादी लोकाचार सहित लोकतांत्रिक भावना भारतीयों में अंतरनिहित है। उन्होंने कहा कि भारतीय मूल के लोगों ने इसे देश से बाहर भी पहुंचाया है। उन्होंने अपनाये गए देशों की आर्थिक समृद्धि और सामाजिक सद्भाव में भी योगदान किया है।
प्रधानमंत्री ने लोकतांत्रिक देशों का आह्वान किया कि वे अपने संविधानों में निहित मूल्यों पर अमल करें। उन्होंने कहा कि संवेदनशीलता, जवाबदेही, प्रतिभागिता और सुधार की भावना भारतीय लोकतांत्रिक शासन के चार स्तम्भ हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि लोकतंत्र के सिद्धांतों को वैश्विक शासन का मार्गदशन करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि प्रौद्योगिकी कम्पनियों को मुक्त और लोकतांत्रिक समुदायों के संरक्षण में मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी का लोकतंत्र पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से असर पड सकता है।
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री को विशेष अतिथि के रूप में अमरीकी राष्ट्रपति द्वारा आयोजित मुख्य नेताओं के पूर्ण सत्र में आमंत्रित किया गया है। श्री मोदी आज सम्मेलन में भारत की ओर से राष्ट्रीय वक्तव्य देंगे। (Aabhar Air News)