गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि अब राजभाषा को देश की एकता का महत्‍वपूर्ण माध्यम बनाने का समय आ गया है। गृह मंत्री ने कहा कि हिंदी को स्‍थानीय भाषाओं के नहीं, बल्कि अंग्रेजी के विकल्‍प के रूप में स्‍वीकार किया जाना चाहिए। गृह मंत्री कल नई दिल्‍ली में संसदीय राजभाषा समिति की 37वीं बैठक की अध्‍यक्षता कर रहे थे। इस अवसर पर उन्‍होंने राष्‍ट्रपति को समिति की रिपोर्ट का 11वां खंड भेजे जाने की स्‍वीकृति दी।
उन्‍होंने राजभाषा समिति की कार्य गति की सराहना करते हुए कहा कि एक कार्यकाल में राष्‍ट्रपति को तीन रिपोर्ट भेजा जाना सबके लिए एक बडी उपलब्धि है।
श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने राजभाषा को सरकार संचालन का माध्‍यम बनाने का निर्णय लिया है और इससे निश्चित रूप से हिंदी का महत्‍व बढेगा। उन्‍होंने कहा कि हिंदी को व्‍यापक रूप से स्‍वीकार्य बनाने के लिए अन्‍य भाषाओं के शब्‍दों को समायोजित करने के प्रति लचीला रुख रखना होगा।
गृह मंत्री ने सदस्‍यों को बताया कि इस समय मंत्रिमंडलीय 
एजेंडे का 70 प्रतिशत कार्य हिंदी में होता है। उन्‍होंने बताया कि पूर्वोत्‍तर के आठ राज्‍यों में बाइस हजार हिंदी शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। पूर्वोत्‍तर के 9 जनजातीय समुदायों ने अपनी बोली की लिपि को देवनागरी में परिवर्तित किया है। इसके अलावा आठ पूर्वोत्‍तर राज्‍यों ने दसवीं कक्षा तक विद्यालयों में हिंदी को अनिचार्य बनाने की भी सहमति दी है। 
  (Aabhar Air News)