वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा है कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत स्वीकृत किए गए कुल ऋण में से 51 प्रतिशत से अधिक ऋण अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को दिया गया है। मुद्रा योजना के आज सात वर्ष पूरे होने पर श्रीमती सीतारामन ने कहा कि सामाजिक न्याय की यह योजना प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की परिकल्‍पना सबका साथ, सबका विकास की सच्ची भावना के साथ चलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि इस योजना ने विशेष रूप से छोटे व्यवसायों के लिए एक अनुकूल माहौल बनाने और जमीनी स्तर पर बड़ी संख्‍या में रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद की है। श्री मोदी ने 8 अप्रैल, 2015 को गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि लघु या सूक्ष्म उद्यमों को 10 लाख रुपये तक का ऋण प्रदान करने के लिए योजना शुरू की थी।
 
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत अब तक 18 लाख 60 हजार करोड़ रुपये के 34 करोड़ 42 लाख से अधिक ऋण स्वीकृत किए जा चुके हैं। महिला उद्यमियों को स्वीकृत लगभग 68 प्रतिशत ऋण और नए उद्यमियों को 22 प्रतिशत ऋण दिए गए हैं जिन्होंने योजना की शुरुआत के बाद से कोई ऋण नहीं लिया था।
    
वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत कराड ने कहा कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना शुरू करने के पीछे प्रेरणा शक्ति सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को बिना किसी परेशानी और बाधा के संस्थागत ऋण प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि योजना नीति आयोग द्वारा चिन्हित महत्वाकांक्षी जिलों के लाभार्थियों की बढ़ती संख्या को ऋण देने में सक्षम रही है। (Aabhar Air News)