देश में आज ज्‍योतिबा फुले की जयंती मनाई जा रही है। समाज सुधारक महात्मा फुले ने देश में छुआछूत और जाति प्रथा को समाप्‍त करने की दिशा में काम किया। उन्होंने अपनी पत्नी सावित्रीबाई के साथ मिलकर देश में महिलाओं में शिक्षा का अलख जगाया। श्री फुले का जन्‍म 11 अप्रैल 1827 को हुआ था। 172 वर्ष पहले उन्‍होंने पुणे में लडकियों के लिए पहला स्‍कूल खोला था। उन्‍होंने सत्‍य शोधक समाज की भी स्‍थापना की, जिसका उद्देश्‍य समानता का अधिकार दिलाना था। उन्होंने कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ लड़ाई लड़ी और जल संकट से निपटने के लिए एक सशक्त अभियान चलाया।
    
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने आज महान समाज सुधारक, दूरदर्शी विचारक और शिक्षाविद महात्मा फुले की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। एक ट्वीट में श्री नायडू ने कहा कि वंचितों और महिलाओं के उत्थान के लिए उनका प्रयास एक समावेशी और समतावादी समाज के निर्माण के  प्रयासों में प्रेरणा का एक स्रोत बना हुआ है।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने सामाजिक कार्यकर्ता महात्‍मा ज्योतिराव फुले की जयंती पर उन्‍हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि श्री फुले को सामाजिक न्याय का पक्षधर होने के लिए याद किया जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा फुले बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उन्‍होंने सामाजिक समानता, महिला सशक्तिकरण और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अथक प्रयास किया। श्री मोदी ने कहा कि भारत उनके इस योगदान के लिए हमेशा उनका आभारी रहेगा।

पिछले महीने मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने महात्‍मा फुले के योगदान को याद किया था और कहा था कि देश महात्‍मा फुले और डॉ0 बाबा साहेब भीमराव आम्‍बेडकर के महत्‍वपूर्ण योगदान का हमेशा आभारी रहेगा। (Aabhar Air News)