जलियांवाला बाग नरसंहार के आज एक सौ तीन वर्ष पूरे हो गये हैं। पंजाब में तेरह अप्रैल, 1919 को जलियांवाला बाग नरसंहार हुआ था। भारत के इतिहास में यह अब तक का सबसे काला दिन माना जाता है।
बैसाखी के पावन अवसर पर हज़ारों लोग बैसाखी मनाने और अपने दो नेताओं सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी का शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने के लिए जलियांवाला बाग में एकत्र हुए थे। लेकिन सार्वजनिक बैठकों और जुलूस पर रोक लगी हुई थी तथा गांववासियों को इस बारे में जानकारी नहीं थी।
जनरल आर. एडवर्ड हेरी डायर अपने जवानों के साथ जलियांवाला बाग में पहुंचे और प्रवेश द्वार को बंद कर दिया। उन्होंने बिना किसी चेतावनी के निहत्थे नागरिकों पर गोलियां चलाने का आदेश दिया। जनरल डायर ने बाद में कहा कि यह लोगों को तितर-बितर करने के लिए नहीं, बल्कि अवज्ञा करने का दंड दिया गया था। ब्रिटिश सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इसमें 350 से अधिक लोगों को मारा गया था, जबकि हज़ारों लोग गम्भीर रूप से घायल हो गये थे। लेकिन कांग्रेस के अनुसार इस घटना में एक हज़ार से अधिक लोगों की जान गई।
उपराष्ट्रपति एम0 वैंकेयानायडू ने जलियांवाला बाग के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की है। एक ट्वीट संदेश में श्री नायडू ने कहा कि देश, मातृभूमि की रक्षा के लिए उनके सर्वोच्च बलिदान का ऋणी रहेगा। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों को सबसे अच्छी श्रद्धांजलि यह होगी कि हम ऐसे भारत का निर्माण करें जिसकी उन्होंने कल्पना की थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1919 में आज ही के दिन जलियांवाला बाग में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी। ट्वीट संदेश में श्री मोदी ने कहा कि उनका अद्वितीय साहस और बलिदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। (Aabhar air news)