24वें और अंतिम जैन तीर्थंकर भगवान महावीर की जयंती आज देश भर में धार्मिक श्रद्धा के साथ मनाई जा रही है। महावीर जंयती जैन समुदाय के लिए सब से पावन अवसर है और उनके धार्मिक जीवन में इसका बहुत महत्व है।
देश के विभिन्‍न भागों में आज बैसाखी, विशु, रोंगाली बिहू, नब बर्ष, वैशाखडी और पुथाण्‍डु पिरप्‍पु के त्‍योहार मनाए जा रहे हैं।
 
राष्‍ट्रपति राम नाथ कोविंद और उपराष्‍ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने इस अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं दी हैं। राष्‍ट्रपति ने अपने संदेश में कहा कि भगवान महावीर ने अहिंसा, सत्‍य, अस्तेय, संयम और अपरिग्रह के संकल्‍प का पालन कर आध्यात्मिक मुक्ति का मार्ग दिखाया। श्री कोविंद ने कहा कि भगवान महावीर त्याग और संयम, प्रेम और करुणा तथा शील और सदाचार को सम्यक मानव-जीवन का आधार मानते थे।
 
राष्‍ट्रपति ने लोगों से समाज में अहिंसा को बढ़ावा देने और सभी प्रकार की सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने की दिशा में कार्य करने का संकल्प लेने का आह्वान किया।
उपराष्‍ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने अपने संदेश में कहा कि भारत के सबसे महान आध्‍यात्‍मिक गुरू भगवान महावीर अहिंसा, करूणा और सत्‍य जैसे सदगुणों के प्रतीक थे। उन्‍होंने अपनी शिक्षाओं और सादगीपूर्ण जीवन से लोगों को दयावान बनने और नैतिक तथा सैद्धांतिक जीवन जीने के लिए प्रेरित किया। श्री नायडु ने कहा कि उनका अनेकांतवाद का दर्शन बहुलता और सहि‍ष्‍णुता की भारतीय संस्‍कृति को दर्शाता है।
राष्‍ट्रपति राम नाथ कोविंद और उपराष्‍ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने देशवासियों को बैसाखी, विशु, रोंगाली बिहू, नबबर्ष, वैशाखडी और पुथाण्‍डु पिरप्‍पु पर्वों की शुभकामनाएं दी हैं। श्री कोविंद ने अपने संदेश में कहा ये उत्‍सव विविधता में एकता के प्रतीक हैं। साथ ही देश की प्रगति के लिए अथक परिश्रम करने वाले किसान समुदाय के लिए भी हर्ष और उल्‍लास के अवसर हैं। राष्‍ट्रपति ने कहा कि लोगों को इस अवसर पर सुख, शांति और समृद्धि के लिए एकजुट प्रयासों का संकल्‍प लेना चाहिए।
उपराष्‍ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने अपने संदेश में कहा कि पारम्‍परिक रूप से फसल कटाई  से जुडे ये त्‍योहार प्रकृति की उर्वरा-शक्ति और प्रचुरता के प्रति आभार व्‍यक्‍त करने का भी अवसर हैं। ये भारतीय संस्‍कृति की समृद्धि और विविधता तथा सच्‍चे अर्थों में प्रकृति और जीवों के साथ साहचर्य और सह-अस्तित्‍व के प्रतीक हैं।(Aabhar Air News)