संसद पर आतंकवादी हमले की बीसवीं बरसी पर दोनों सदनों ने लोकतंत्र की रक्षा करने में प्राणों की आहुति देने वालों को आज श्रद्धांजलि दी। संसद के दोनों सदनों ने आतंकवाद से लड़ने के अपने दृढ़ संकल्प को भी दोहराया। 2001 में आज ही के दिन आतंकवादियों ने संसद में तोड़फोड़ करने की कोशिश की थी, हालांकि देश के बहादुर सुरक्षा बलों की समय पर कार्रवाई से उनके भयावह इरादों को विफल कर दिया गया। इन्होंने स्थिति पर निरंतर नजर रखी और संसद की रक्षा के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी। 
 
आज राज्‍यसभा की बैठक शुरू होते ही सभापति एम वेंकैया नायडु ने कहा कि सदन हमारे सुरक्षा कर्मियों के सर्वोच्च बलिदान को कृतज्ञता के साथ याद करता है। इन शहीदों में, दिल्ली पुलिस के पांच जवान, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल-सी.आर.पी.एफ. की एक महिला कांस्टेबल सहित संसद सुरक्षा सेवा के दो जवान शामिल हैं। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के एक माली और एक कैमरामैन भी उस दिन शहीद हो गए थे। श्री नायडु ने कहा कि शहीदों ने अपने जीवन का बलिदान देकर अदम्य साहस और कर्तव्य के प्रति उत्कृष्ट समर्पण की मिसाल कायम की है।
 
उधर, लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि संसद के सुरक्षा कर्मचारियों, दिल्ली पुलिस और सीआरपीएफ के सुरक्षाकर्मियों ने लोकतंत्र के मंदिर की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान दिया है। उन्‍होंने कहा कि यह देश के लोकतंत्र के प्रतीक चिन्ह पर कायरतापूर्ण हमला था जिसे सुरक्षाकर्मियों ने बड़ी हिम्मत से नाकाम कर दिया। उन्होंने कहा कि यह दिन देश के प्रति एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए हमारी प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है। (Aabhar Air News)