भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने कहा है कि देश में आंकड़े एकत्र करने और उन्हें रखने की एक मजबूत प्रणाली है और कोविड मौतों की संख्या का पता लगाने के लिए मॉडलिंग और प्रैस रिपोर्टों पर भरोसा करने की जरूरत नहीं है। पत्रकारों से बातचीत में श्री भार्गव ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के भारत में कोविड से हुई मौतों के बारे में जारी आंकड़ों पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि जिस समय हमारे यहां कोविड से मौतें हो रही थी, उस समय हमारे पास मौतों की कोई परिभाषा नहीं थी और विश्व स्वास्थ्य संगठन के पास भी नहीं थी।
श्री भार्गव ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति आज संक्रमित होने के बाद दो हफ्ते, दो महीने या छह महीने के बाद मर जाता है तो क्या यह कोविड से हुई मौत होगी। उन्होंने कहा कि हमने आंकड़ों की जांच के बाद पाया कि कोरोना से संक्रमित होने के बाद हुई 95 प्रतिशत मौतें पहले चार हफ्तों में हुई थीं। इसलिए मृत्यु की परिभाषा के लिए 30 दिनों की कट-ऑफ रखी गई थी।
केंद्र सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के कोरोना संक्रमण से भारत में हुई मौतों की गणना के तौर-तरीकों और उसके आंकड़ों पर आपत्ति व्यक्त की है और कहा है कि उसके प्रामाणिक आंकड़े उपलब्ध हैं। (Aabhar Air News)