दिल्ली की एक अदालत ने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख यासीन मलिक को आतंकी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इससे पहले, यासीन ने सभी आरोप स्वीकार करते हुए स्वयं को दोषी मान लिया था। आरोपों में अवैध गतिविधि, रोकथाम कानून के अंतर्गत आरोप भी शामिल थे। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण - एनआईए ने दिल्ली की अदालत से यासीन मलिक के लिए मृत्यु दण्ड की मांग की थी। मामले की सुनवाई के दौरान जांच एजेंसी ने विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह को बताया कि मलिक कश्मीरी पंडितों के पलायन के लिए जिम्मेदार है।
   
मलिक को कानूनी सहायता देने के लिए अदालत की ओर से नियुक्त वकील ने इस मामले में कम से कम आजीवन कारावास की मांग की थी। न्यायाधीश ने कहा कि मलिक को पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है, इसलिए इस मामले के तथ्यों पर बहस का कोई औचित्य नहीं है और मलिक को अपने बचाव का अवसर दिया जा चुका है। (Aabhar Air News)