हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री के उपन्यास रेत समाधि पर आधारित 'टॉम्ब ऑफ सैंड' को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला है। 'टॉम्ब ऑफ सैंड' प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाला किसी भी भारतीय भाषा से अनूदित पहला उपन्यास है। हिंदी भाषा के इस उपन्यास का अनुवाद किया गया है।
गीतांजलि श्री न केवल हिंदी की पहली पुरस्कार विजेता हैं, बल्कि यह पहली बार है कि किसी भारतीय भाषा में लिखी गई एक पुस्तक ने बुकर पुरस्कार जीता है।
गीतांजलि श्री ने कहा कि 'टॉम्ब ऑफ सैंड' को पुरस्कार मिलना एक उदासी भरी संतुष्टि है। यह उस दुनिया के लिए एक शोकगीत है जिसमें हम रहते हैं। यह एक स्थायी ऊर्जा है, जो किसी भी बुरी स्थिति में आशा की किरण जगाए रखती है।
इस उपन्यास का अनुवाद डेजी रॉकवेल ने किया था और उन्हें पचास हजार पाउंड का पुरस्कार मिला है, जिसे लेखक और अनुवादक के बीच बराबर-बराबर बांटा जाएगा।
'टॉम्ब ऑफ सैंड' ने एक सौ पैंतीस किताबों से प्रतिस्पर्धा करने के बाद यह पुरस्कार जीता है। एक अस्सी वर्षीय महिला की कहानी है, जो अपने पति के निधन के बाद गहरे अवसाद में चली जाती है और फिर जीवन को नए सिरे से शुरू करने की कोशिश करती है। विभाजन के अपने किशोर जीवन के कटु अनुभवों का सामना करने के लिए यह महिला पाकिस्तान की यात्रा करती है। वह एक माँ, एक बेटी, एक महिला और नारीवादी के महत्व का आकलन करती है।
गीतांजलि श्री तीन उपन्यासों और कई लघु कहानी संग्रहों की लेखिका हैं। 'टॉम्ब ऑफ सैंड' ब्रिटेन में प्रकाशित होने वाली उनकी पहली पुस्तक है।
डेजी रॉकवेल अमेरिका के वर्मोंट में रहने वाली एक चित्रकार, लेखिका और अनुवादक हैं। उन्होंने हिंदी और उर्दू साहित्य की कई रचनाओं का अनुवाद किया है। (Aabhar Air News)