प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि देश की न्यायपालिका ने हमेशा संविधान की सकारात्मक और रचनात्मक व्याख्या कर इसे मजबूत किया है और राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखकर अपने कर्तव्य का पालन किया है। आज गुजरात उच्च न्यायालय के हीरक जयंती समारोह में वर्चुअल माध्यम से श्री मोदी ने कहा कि देश के लोगों के अधिकारों की सुरक्षा हो या राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता, न्यायपालिका ने हमेशा अपना कर्तव्य निभाया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कानून का शासन हमेशा से भारतीय संस्कृति और मूल्यों का आधार रहा है और यही सुशासन का आधार है। उन्होंने कहा कि इसी ने हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को नैतिक संबल प्रदान किया था। स्वराज की अवधारणा इसी से उपजी थी, जिसमें भारत के स्वतंत्रता संग्राम को मजबूती प्रदान की थी। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने भी कानून के शासन को प्राथमिकता दी थी और भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भी कानून का शासन स्थापित करने का संकल्प व्यक्त किया गया था। श्री मोदी ने कहा कि कानून के तहत हर नागरिक को अधिकार प्रदान किए गए हैं और विश्व स्तरीय न्यायिक प्रणाली की स्थापना करना न्यायपालिका और सरकार का उत्तरदायित्व है। उन्होंने कहा कि आम लोगों को सत्य के लिए संघर्ष करने की शक्ति न्यायपालिका ने ही प्रदान की है।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि उच्चतम न्यायालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सबसे अधिक मामलों की सुनवाई की है। कोरोना काल के दौरान उच्च न्यायालयों और जिला अदालतों में भी बड़ी संख्या में वर्चुअल माध्यम से कार्यवाही की गई है। प्रधानमंत्री ने गुजरात उच्च न्यायालय को कोरोना काल में अदालती कार्यवाही का सीधा प्रसारण करने और आम जनता के लिए खुली अदालतों की पहल करने के लिए धन्यवाद दिया।
प्रधानमंत्री ने गुजरात उच्च न्यायालय की हीरक जयंती की स्मृति में डाक टिकट भी जारी किया।
इस अवसर पर विधि और न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि गुजरात उच्च न्यायालय ने हमेशा न्यायपालिका में उच्च मानदंड कायम किए हैं। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा कि राज्य सरकार ने न्यायपालिका के लिए एक हजार छह सौ अस्सी करोड़ रूपए आबंटित किए हैं। उन्होंने गुजरात उच्च् न्यायालय को नई तकनीक अपनाने के लिए दी।
इस अवसर पर उच्चतम न्यायालय और गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी उपस्थित थे।
साभार-AIR