असम में जनजातियों और चाय बागान के कामगारों के दशकों पुराने संकट को समाप्त करने के लिए केन्द्र, असम सरकार और आठ जनजातीय समूहों के बीच त्रिपक्षीय शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं। हस्ताक्षर करने वाले जनजातीय समूहों में बिरसा कमांडो बल, आदिवासी पीपल्स आर्मी, ऑल आदिवासी नेशनल लिब्रेशन आर्मी, आदिवासी कोबरा मिलिट्री ऑफ असम और संथाल टाइगर फोर्स शामिल हैं। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कल नई दिल्ली में समझौता बैठक की अध्यक्षता की। इसे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक दिन बताते हुए श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर में शांति और विकास सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। यह समझौता पूर्वोत्तर क्षेत्र को 2025 तक उग्रवाद मुक्त बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। गृहमंत्री ने कहा कि असम के जनजातीय समूहों के एक हजार एक सौ 82 कैडर हथियार डालकर हिंसा का मार्ग छोड़ चुके हैं और मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र, पूर्वोत्तर राज्यों के बीच सभी सीमा और सशस्त्र गुट संबंधी विवाद 2024 तक हल करने के लिए प्रतिबद्ध है।
गृहमंत्री ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में पूर्वोत्तर क्षेत्र में शांति और विकास सुनिश्चित करने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं और इससे करीब 65 प्रतिशत सीमा विवाद हल हो गए हैं। गृहमंत्री ने कहा कि 2014 की तुलना में वर्ष 2021 में उग्रवादी घटनाओं में 74 प्रतिशत की कमी आई है। श्री शाह ने इस बात पर जोर दिया कि जनजातीय समूहों की राजनीतिक, आर्थिक और शैक्षिक आकांक्षाओं को पूरा करना भारत सरकार और असम सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि जनजातीय बहुल क्षेत्रों में ढांचागत विकास के लिए अगले पांच वर्षों में एक हजार करोड़ रुपये का विशेष विकास पैकेज दिया जाएगा।
असम के मुख्यमंत्री हिमन्ता बिस्व सरमा ने कहा कि यह समझौता हिंसा का रास्ता (Aabar Air News)