उच्चतम न्यायालय ने आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उत्तर प्रदेश सरकार को अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण के बिना शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का निर्देश देने वाले आदेश पर रोक लगा दी।
योगी आदित्यनाथ सरकार ने पिछले सप्ताह उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय ने राज्य में अन्य पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण के बिना शहरी स्थानीय निकाय चुनाव करवाने के लिए कहा गया था।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने कहा था कि जब तक राज्य सरकार, सर्वोच्च न्यायालय की अनिवार्य तीन शर्तों को सभी तरह से पूरा नहीं कर लेती तब तक शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण नहीं दिया जाएगा।
चूंकि इस प्रक्रिया में समय लग सकता है, इसलिए उच्च न्यायालय ने निकाय चुनाव तुरंत कराने का निर्देश दिया था।
उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश के एक दिन बाद तीन शर्तों के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण के लिए सर्वेक्षण करने के वास्ते पांच सदस्यीय आयोग का गठन किया था।
ट्रिपल टेस्ट या तीन शर्तें उच्चतम न्यायालय ने निर्धारित की हैं। इसके अंतर्गत राज्य सरकार को प्रदेश में स्थानीय निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति और प्रभावों की जांच के लिए एक पैनल बनाने की आवश्यकता है। आयोग की सिफारिशों के अनुसार प्रत्येक स्थानीय निकाय के लिए आवश्यक आरक्षण अनुपात तय किया जाए जिससे आरक्षण सीमा का उल्लंघन न हो। इसके अलावा यह आरक्षण अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित कुल सीटों के 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। (Aabhar Air News)