मणिपुर में कल होने वाले विधानसभा चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण के मतदान के लिए तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस चरण में दस जिलों की 22 सीटों पर मतदान होगा। इनमें 11 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित हैं। इनमें थौबल, काकचिंग, जिरीबाम, चंदेल, तेंगनौपाल, कामजोंग, उखरूल, सेनापति, तामंगलोंगे और नोनी जिले शामिल हैं। इस चरण में दो महिलाओं सहित 92 उम्मीदवार मैदान में हैं। वांगखेम सीट के लिए सबसे अधिक आठ उम्मीदवार हैं। चंदेल और नुंगबा निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। 
इससे पहले, उत्तर प्रदेश में छठे चरण के तहत कल 10 जिलों के 57 विधानसभा क्षेत्रों में 56 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ। इसके साथ ही इन विधानसभा सीटों के लिए 676 उम्मीदवारों का राजनीतिक भविष्य ईवीएम में बंद हो गया।
इस बीच, सातवें और अंतिम चरण के लिए प्रचार जोरों पर है। विभिन्न राजनीतिक दलों के स्‍टार प्रचारक और प्रमुख नेता जनसभाएं करने के साथ ही घर-घर जाकर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रहे हैं। ये नेता वर्चुअल माध्‍यम से भी मतदाताओं से अपने उम्‍मीदवार के पक्ष में वोट डालने की अपील कर रहे हैं।
इस चरण का मतदान 7 मार्च को नौ जिलों के 54 विधानसभा क्षेत्रों में होगा। इनमें 11 सीटें अनुसूचित जाति और दो अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित हैं। इनमें मऊ, आजमगढ़, जौनपुर, गाजीपुर, वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, सोनभद्र और भदोही जिले शामिल हैं। कुल 613 उम्मीदवार मैदान में हैं। गाजीपुर सीट पर सबसे अधिक 19, जबकि वाराणसी जिले की पिंडरा और शिवपुर सहित दो सीटों के लिए सबसे कम छह उम्मीदवार हैं। 
इसके साथ ही असम में माजुली सीट के लिए विधानसभा उपचुनाव भी होगा। यहां मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है। सत्तारूढ़ भाजपा ने भुवनेश्वर गाम को मैदान में उतारा है, जबकि असम जातीय परिषद ने चित्तरंजन बसुमतारी तो सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट) ने भाती रिचोंग को उम्मीदवार बनाया है। राज्यसभा के लिए चुने जाने के बाद इस सीट से केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल के इस्तीफे के बाद उपचुनाव कराया जा रहा है।
निर्वाचन आयोग ने कोविड मामलों में कमी को देखते हुए चुनाव वाले राज्यों में प्रचार के लिए निर्धारित शर्तों में ढील दी है। राजनीतिक दल और उम्मीदवार अब सुबह छह बजे से रात 10 बजे तक प्रचार कर सकते हैं। उम्‍मीदवारों और पार्टियों को प्रचार के दौरान राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के कोविड संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।
आयोग ने राजनीतिक सभाओं और रैलियों के लिए निर्धारित स्‍थान की 50 प्रतिशत क्षमता के उपयोग पर प्रतिबंध में भी ढील दी है। राजनीतिक दल और उम्मीदवार अब राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के नियमों के अनुसार ही बैठकें और रैलियां आयोजित कर सकते हैं। इसके अलावा राज्‍य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ-साथ संबंधित जिला प्रशासन की पूर्व अनुमति से रोड शो का भी आयोजन किया जा सकता हैं। (Aabhar Air News)