सरकार ने शिक्षा सत्र- 2021-22 से, स्‍नातक और स्‍नातकोत्‍तर मेडिकल और दंत पाठ्यक्रमों में अखिल भारतीय कोटा योजना में, आर्थिक रूप से पिछड] वर्गों को दस प्रतिशत और अन्‍य पिछडे वर्गों को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का ऐतिहासिक और महत्‍वपूर्ण फैसला किया है। हमारे संवाददाता ने बताया है कि इस फैसले से आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लगभग 550 विद्यार्थी एमबीबीएस में और लगभग 1000 विद्यार्थी स्नात्कोत्तर पाठ्यक्रम में दाखिला ले सकेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को हुई एक बैठक में सभी संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों को निर्देश दिया था कि वे काफी समय से लंबित इस मुद्दे का प्रभावशाली समाधान निकालने का प्रयास करें। अखिल भारतीय कोटा योजना की शुरुआत 1986 में की गई थी। इसे किसी दूसरे राज्य में स्थित अच्छे मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई के इच्छुक विद्यार्थियों को निवास प्रमाणपत्र के बिना मैरिट के आधार पर दाखिला लेने का अवसर प्रदान करने के लिए शुरू किया गया था।

अखिल भारतीय कोटे में कुल उपलब्ध अंडर ग्रेज्युएट सीटों का 15 प्रतिशत और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पोस्ट ग्रेज्युएशन की उपलब्ध कुल सीटों का 50 प्रतिशत शामिल है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि मौजूदा सरकार पिछड़े वर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को यथोचित आरक्षण उपलब्ध कराने को प्रतिबद्ध है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि इस फैसले से हर साल हजारों युवाओं को बेहतर अवसर प्राप्‍त करने में काफी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि  इससे देश में सामाजिक न्याय का एक नया प्रतिमान स्‍थापित होगा।