प्रदेश के चमोली जिले में अचानक ग्लेशियर फट जाने से सभी हतप्रभ हैं। प्रशासन ने आनन फानन में राहत बचाव कार्य जारी कर दिया है। ग्लेशियर फटने से न सिर्फ धौली गंगा, ऋषि गंगा में भीषण बाढ़ से तबाही मच गई बल्कि तपोवन हाइड्रो प्रोजेक्ट भी पूरी तरह से तबाह हो गया। इसके मलबे में कई लोगों के दबने की सूचना है। हालांकि SDRF और ITBP की टीमों सहित स्थानीय प्रशासन राहत बचाव में जुटा हुआ है।



इस ग्लेशियर फटने से जहां लोगों में हड़कंप मचा हुआ है, वहीं वैज्ञानिक और भी अधिक हैरान नजर आ रहे हैं। इसकी पीछे ठंड के मौसम में इस हैरतअंगेज घटना का होना है। वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ हिमालयन ज्योलॉजी के वैज्ञानिकों का दावा है कि, ठंड के मौसम में पहली बार कोई ग्लेशियर टूटा है, जो कि झैरॉन करने वाला है। हालांकि अभी तक ग्लेशियर फटने की वजह साफ़ नहीं हो सकी है। वैज्ञानिक प्रथम दृष्टया जमीन के नीचे टकराव होने से ऐसा होने की आशंका व्यक्त कर रहे हैं।

चमोली जनपद स्थित पैंगघाटी में हिम ग्लेशियर फटने से सबसे पहले तो धौली गंगा में जल-प्रलय आ गया। इसके बाद ऋषि गंगा और तपोवन हाइड्रो प्रोजेक्स्ट ध्वस्त हो जाने के कारण नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ता गया। और देखते ही देखते तबाही का मंजर बन गया। THDC ने नदी में पानी का बहाव कम करने के लिए टिहरी बांध से पानी छोडना भी बंद कर दिया है। 



मिल रही सूचना के अनुसार, NDRF, ITBP के अलावा तीन अतिरिक्त टीमें शाम तक वायुसेना के हेलीकॉप्टर की मदद से वहां पहुंचेंगी। SDRF और स्थानीय प्रशासन पहले से ही मौके पर मौजूद है। इस भीषण तबाही में अभी तक की सूचना के अनुसार 100-150 लोगों की मौत की सूचना है।